Monday, August 30, 2010

मेरी तेरी

एक दम्पति भारत दर्शन के लिए निकल पड़ा। साथ थे उनके बच्चे, और बच्चों की दादी और नानी। नानी को ले जाने की आदमी ने ठानी थी, और दादी को ले जाने का उनकी पत्नी का सुझाव था।

नए शहरों में दादी को काफी तकलीफ हुई, और वह चिड़-चिड़ी हो गयीं। कुछ देर के बाद आदमी से अपनी माँ का व्यव्हार सहा नहीं गया। कहते तो क्या कहते? हरकतें तो उन्ही की माँ कर रही थीं।

कुछ दिनों तक चुप रहे, पर फिर अपने को रोक न पाए। माँ को तो कुछ कह न सके, पत्नी पर बरस पड़े: "देखो! मेरी सास कितनी शांति से चल रही है - तुम्हारी सास हमें कितना तंग कर रही है!"

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